एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लॉकडाउन बढ़ाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सुझाव दिया है कि सरकार यदि 14 अप्रैल को खत्म हो रहे 21 दिनों के राष्ट्रीय लॉकडाउन को बढ़ाने जा रही है तो उसे गरीबों के खातों में 5-5 हजार रुपए जमा कराना चाहिए। गुरुवार को सब ए बारात के मौके पर ऑनलाइन मीटिंग के दौरान ओवैसी ने कहा, ‘‘गरीब लोगों का कहना है कि लॉकडाउन में कोरोना से मरें या ना रहें भूख से जरूर मर जाएंगे।’’ उन्होंने सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे कोरोना जिहाद को लेकर भी कहा- यह एकता को तोड़ने और देश को कमजोर करने की सोची-समझी चाल है।
"‘कोरोना जिहाद ट्विटर पर जानबूझकर तैयार किया गया ट्रेंड है। जो लोग ऐसी चीजें कर रहे हैं, वे देश को मजबूत नहीं कर रहे हैं। 1 जनवरी से 15 मार्च तक देश में 15 लाख लोग आए लेकिन आपने तब्लीगी जमात पर आपत्ति जताई? हमने 3 मार्च से स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी तो फिर वे कैसे आ गए? किसने स्क्रीनिंग की है और कौन इसके लिए जिम्मेदार है?’’
केरल में कोरोना के पहले तीन मामले आए वहां के सांसदों को भी नहीं बुलाया
प्रधानमंत्री की की ऑनलाइन मीटिंग में नहीं बुलाए जाने पर ओवैसी ने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री से पूछता हूं कि जिस भी पार्टी के पांच सांसद हैं, उन्हें आपने बुलाया है, लेकिन आप संसद में उन पार्टियों को बुला रहे हो जिनके पांच से कम सांसद हैं। प्रधानमंत्री ने मुझे और औरंगाबाद के सांसद को नहीं बुलाया है। उन्होंने केरल से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के तीन सांसदों को भी नहीं बुलाया है। जबकि केरल में ही कोरोनोवायरस के पहले तीन मामले सामने आए थे।”
दुनिया जब नजदीक आ रही तब देश नफरत फैल रही है
ओवैसी ने कहा, मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हर 3 में एक प्रवासी कोरोना से संक्रमित है और ये लोग गांव में जाकर कोरोना फैलाएंगे। इसीलिए सरकार ने 6 लाख लोगों को शेल्टर्स में रखा है, लेकिन वहां भी सोशल डिस्टेंसिंग कहां हैं। ओवैसी ने कहा, यह नफरत फैलाने की साजिश है। मैं प्रधानमंत्री से चुप्पी तोड़ने की अपील करता हूं कि वे ऐसे लोगों को रोकें। आप मेरे भी तो प्रधानमंत्री हैं। दूरी दुनिया जब नजदीक आ रही है, तब हमारे में देश में नफरत क्यों फैलाई जा रही है।